अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया । चक्षुरुन्मिलितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः ॥ संस्कृत में
भावार्थ : (हिंदी अर्थ में) जो ज्ञानांजनरुप शलाका से, अज्ञान अज्ञान से अंधे लोगों की आंखें खोली, उन गुरु को नमस्कार ।
भावार्थ : अज्ञान रूपी अंधकार से अंधे हुए लोगों की आंखें ज्ञान रूप से खोलने वाले गुरु को नमस्कार है।
गुरु एक संस्कृत शब्द है जो किसी ऐसे व्यक्ति को दर्शाता है जो निश्चित ज्ञान का "शिक्षक, मार्गदर्शक या गुरु" है।
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